में और मेरी साइकल ! कल आज और कल ! (रचनाको प्रास अनुरूप प्रस्तुत करनेके लिए “साईकिल” की जगह अनुभव करे... में और मेरी साइकल ! कल आज और कल ! (रचनाको प्रास अनुरूप प्रस्तुत करनेके लिए “साईक...
फल तो़ड़कर खाती और पक्षियों के घोंसले सजाती थी। फल तो़ड़कर खाती और पक्षियों के घोंसले सजाती थी।
बाबा अब जो नहीं है तो चक्कों में फूंक नहीं रहती। बाबा अब जो नहीं है तो चक्कों में फूंक नहीं रहती।
न भविष्य की चिंता थी, न वर्तमान का ठिकाना था, जो चल रहा था, उसमे सब राज़ी थे, न भविष्य की चिंता थी, न वर्तमान का ठिकाना था, जो चल रहा था, उसमे सब राज़ी थे,
अच्छे वक्त में व्यक्ति को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। अच्छे वक्त में व्यक्ति को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।